
सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने गुरुवार (27 जून) को हुई बोर्ड मीटिंग में फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर्स (फिनफ्लूएंसर्स), कंपनी डीलिस्टिंग, डेरिवेटिव ट्रेडिंग और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIF) से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।
मीटिंग में फिनफ्लूएंसर्स को रेगुलेट करने के लिए नए नियमों को मंजूरी दी गई है।
अब सेबी रजिस्टर्ड एडवाइजर्स किसी फिनफ्लूएंसर्स के साथ करार नहीं कर सकेंगे।
वॉलंटरी डीलिस्टिंग नियमों में भी कुछ छूट का ऐलान किया गया है, जिसमें डीलिस्टिंग के लिए फिक्स्ड प्राइस प्रोसेस को मंजूरी दी गई है।
डीलिस्टिंग तभी मानी जाएगी, जब एग्रीगेट लेवल पर कम से कम 90% शेयरहोल्डर्स से शेयर खरीद लिए गए हों और डीलिस्टिंग के लिए तय कीमत फ्लोर प्राइस से कम से कम 15% ज्यादा होनी चाहिए।
Sebi ने अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs) को लेकर भी राहत दी है।
अब कैटेगरी-1 और कैटेगरी-2 के AIFs को 30 दिनों के लिए उधार लेने की अनुमति होगी, जिससे इन्वेस्टर्स के पैसे निकालने पर फंड की कमी की स्थिति में AIFs उधार ले सकेंगे।
शेयरों के डेरिवेटिव सेगमेंट में एंट्री और एग्जिट के नियमों में भी बदलाव का ऐलान किया गया है। पिछले बदलाव 2018 में हुए थे।
Sebi रजिस्टर्ड एडवाइजर्स और एनालिस्ट्स के लिए पेमेंट के लिए एक ऑप्शनल मैकेनिज्म बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है, जिससे इन्वेस्टर्स के विश्वास को बेहतर करने के लिए एक इकोसिस्टम बनाने की कोशिश है।
इसके अलावा, कुछ यूनिवर्सिटी फंड्स के एडिशनल डिस्क्लोजर नियमों में भी छूट दी गई है।